Kisan Aandolan: सिंघु बॉर्डर पर पेड़ से लटका मिला किसान का शव, शुरुआती जांच में आत्महत्या का मामला

By: Pinki Wed, 10 Nov 2021 11:59:47

Kisan Aandolan: सिंघु बॉर्डर पर पेड़ से लटका मिला किसान का शव, शुरुआती जांच में आत्महत्या का मामला

सिंघु बॉर्डर पर एक किसान का शव बुधवार को पेड़ से लटका मिला। मिली जानकारी के मुताबिक शुरुआती जांच में किसान के आत्महत्या करने की बात सामने आई है। मृतक किसान गुरप्रीत सिंह गांव रुड़की तहसील अमरोह जिला फतेहगढ़ साहिब का रहने वाला था। मृतक किसान की उम्र 45 वर्ष थी। मृतक का शव हुडा सेक्टर में अंसल सुशांत सिटी से आगे नांगल रोड पर पार्कर माल के पास एक नीम के पेड़ पर लटका मिला। मृतक किसान भारतीय किसान यूनियन सिद्धपुर से जुड़ा था। उसके प्रधान जगजीत सिंह ढकेवाल हैं।

किसान प्रधान जगजीत सिंह ढलेवाल की यूनियन और बीकेयू सिद्धपुर से संबंधित बताया जा रहा है। कुंडली थाना पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। अभी यह पता नहीं चला है कि उसकी हत्या हुई या आत्महत्या हुई। कुंडली थाने की पुलिस दोनों एंगल पर जांच कर रही है।

बता दें कि कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन में पंजाब की दर्जनों ट्रालियां कुंडली बार्डर पर हैं। इनमें प्रदर्शनकारी अपनी गांव-क्षेत्र के लोगों के साथ रह रहे हैं। पंजाब के जिला फतेहगढ़ साहिब की तहसील अमरोह के गांव रुड़की का ट्रैक्टर-ट्राली भी लंबे समय से कुंडली बार्डर पर थी।

प्रदर्शनकारियों में शामिल रुड़की गांव का रहने वाला 45 वर्शीय व्यक्ति गुरप्रीत सिंह भी यहीं पर था। दीपावली से पहले उसकी ट्राली के अन्य साथी पंजाब चले गए थे। वह अपनी ट्राली पर अकेला ही रह रहा था। पुलिस उसके आसपास अन्य ट्रालियों पर रहने वाले प्रदर्शनकारियों से भी पूछताछ कर रही है। प्रदर्शनकारियों के माध्यम से मृतक के स्वजनों को सूचना भेज दी गई है।

उधर, संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) 26 नवंबर को आंदोलन का एक साल पूरे होने पर दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी सभाएं करने का ऐलान किया है। 29 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने पर हर दिन 500 ट्रैक्टर से किसान संसद तक मार्च निकालेंगे।

सिंघु बॉर्डर पर मंगलवार को हुई बैठक में किसान आंदोलन की आगे की रणनीति तय की गई है। हरियाणा के संगठनों की ओर से गुरनाम सिंह चढूनी ने 26 नवंबर को दिल्ली कूच का प्रस्ताव रखा, लेकिन बैठक में इस पर कोई फैसला नहीं हुआ। करीब दो घंटे तक चली बैठक में किसान नेताओं ने आंदोलन को आक्रामक करने पर जोर दिया। वरिष्ठ नेता आंदोलन को शांतिपूर्ण और अनुशासन के साथ चलाने पर सहमति कायम करते रहे

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